Sunday, September 12, 2021

स्वागत गीत

गीत सम्राट राकेश खंडेलवाल की दौहित्री आहना के स्वागत में-
गीत 
*
एक नन्हीं परी का धरा अवतरण 
पर्व उल्लास का ऐ परिंदो! उड़ो
कलरवों से गुँजा दो दिशाएँ सभी
लक्ष्य पाए बिना तुम न पीछे मुड़ो

ऐ सलिल धार कलकल सुनाओ मधुर
हो लहर का लहर से मिलन रात-दिन
झूम गाओ पवन गीत सोहर अथक
पर्ण दो ताल, कलियाँ नचें ताक धिन

ऐ घटाओं गगन से उतर आओ री!
छाँह पल-पल करो, वृष्टि कर स्नेह की
रश्मि ऊषा लिए भाल पर कर तिलक
दुपहरी से कहे आज जी जिंदगी

साँझ हो पुरनमी, हो नशीली निशा
आहना के कोपलों का चुंबन करे
आह ना एक भी भाग्य में हो लिखी
कहकहों की कहकशा निछावर करे

चाँदनी कज्जरी दे डिठौना लगा
धूप नजरें उतारे विहँस रूप की   
नाच राकेश रवि को लिए साथ में
ईश को शत नमन पूर्ण आकांक्षा की

देख मुखड़ा नया नित्य मुखड़ा बने
अंतरा अंतरा गीत सलिला बहे
आहना मुस्कुरा नव ऋचाएँ रचे 
खिलखिला मन हरे, नव कहानी कहे
***
संजीव 
९४२५१८३२४४

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