Tuesday, January 11, 2011

हम बिखर क्यों रहे हैं?

              ये सवाल बहुत दिनों  से उभर रहा था कि हम बिखर क्यों रहे हैं? हम चित्रगुप्त की संतान और अपने बारह  भाइयों के परिवार को तोड़कर क्यों अलग अलग गुट बना रहे हैं? क्या हम भी राजनीति का शिकार हो रहे हैं? ऐसा कोई पिता तो नहीं चाहता है कि हमारे ही बच्चे अपने परिवार से टूट कर अलग अलग बिखर जाएँ.
                  रोज ही कहीं न कहीं कुछ देखने को मिल जाता है --
"सक्सेना समाज" की मीटिंग.
"माथुर समाज" के सांस्कृतिक कार्यक्रम.
"निगम समाज" के कार्यों पर प्रकाश. 
              इसी तरह से और भी बन्धु अपने समूह को एकत्र करके कुछ किया करते हैं. क्या इससे हमारे बीच की दरार नहीं दिख  रही है. जब हम आज से दो पीढ़ी पहले कट्टरता की हद से गुजर रहे थे. अपने ही बड़ों को कहते सुना था कि श्रीवास्तव के शादी श्रीवास्तव में ही होनी चाहिए , ये हमसे  नीचे होते हैं और हम ऊँचे होते हैं. वह मानसिकता अब जब बदल चुकी है तब हम क्यों इधर उधर बिखर रहे हैं. अब हम सभी भाइयों को एक स्तर पर रख कर बात करते हैं और सबको बराबर सम्मान देते हैं. अब तो शादी में भी ऐसा कोई व्यवधान हम नहीं देख रहे हैं फिर क्यों हम अलग अलग समाज की बात कर रहे हैं.
             ये शिकायत हम कहाँ करने जायेंगे? ये कायस्थ परिवार पत्रिका है और इसमें ही हम अपनों के एक साथ चलने और सोचने का आग्रह कर सकते  हैं और अगर हम कहीं बिखर रहे हैं तो उनको एक साथ लेकर चलने की बात कर सकते हैं.

13 comments:

  1. रेखा जी, सच कहा आपने, कायस्थों में सबसे बड़ी समस्या अहं की है, मैं भी ABKM से कुछ समय तक जुड़ा था, वहां भी स्थिति कुछ ख़ास ठीक नहीं है!

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  2. एकता में ही बल है। प्रेरक रचना।

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  3. एकता में बल है ,अच्छा लेख

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  4. रस्सी जल गयी पर अकड़ नहीं गयी वाली बात चरितार्थ होती है

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  5. .

    जब मैंने एक लेख लिखा था कायस्थ पर , तब सबसे पहले , कुछ एक कायस्थ ब्लोगर मेरे लेख पर विवाद करने आ गए और मुझ पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाने लगे। पता नहीं कौन सी महानता सिद्ध करना चाहते थे वो लोग। खैर उसी लेख से हमने भी उनकी शिनाख्त कर ली।

    महेश जी की बात से सहमत हूँ, रस्सी जल गयी लेकिन ऐंठन नहीं गयी।

    ------------------

    काया में स्थित कायस्थ --वेदान्त केसरी-- स्वामी विवेकानंद !

    http://zealzen.blogspot.com/2010/09/zeal_14.html

    आभार।

    .

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  6. bahut hi umda lekh hai.. shukriya padwane ke liye..
    Ghost Matter :
    How To Call A Real GHost???
    Hindi Songs Music Blog :
    Download All Music (Songs) For Free

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  7. वाह वाह के कहे आपके शब्दों के बारे में जीतन कहे उतन कम ही है | अति सुन्दर
    बहुत बहुत धन्यवाद् आपको असी पोस्ट करने के लिए
    कभी फुरसत मिले तो मेरे बलों पे आये
    दिनेश पारीक

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  8. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

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  9. मैं भी आपसे पूर्णत: सहमत हूं ।इस अलगाव से बचने का कोई तो रास्ता निकालना ही होगा !
    आभार ...

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  10. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

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  11. मुझे इस ब्लाग के बारे में जानकारी नहीं थी। अच्छा लगा इस ब्लाग पर अपने परिवारीजनों से मिलकर। मुझे लगता है कि इस ब्लाग को और बेहतर सजाने संवारने की जरूरत है।
    रेखी जी की बातों में दम है, इस पर हम सब को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

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  12. SAMAJ MAIN EKATA KA HONA JRURI HAI... EKTA IS KARAN NAHI HAI KI HAM AHAM PAL KAR RAKHTE HAI
    SANJAY VARMA
    RAIPUR
    C. G.

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