Wednesday, April 21, 2010

क्षणिकाएँ... संजीव 'सलिल'

क्षणिकाएँ...
संजीव 'सलिल'
*
कर पाता दिल
अगर वंदना
तो न टूटता
यह तय है.
*
निंदा करना
बहुत सरल है.
समाधान ही
मुश्किल है.
*
असंतोष-कुंठा
कब उपजे?
बूझे कारण कौन?
'सलिल' सियासत
स्वार्थ साधती
जनगण रहता मौन.
*
मैं हूँ अदना
शब्द-सिपाही.
अर्थ सहित दें
शब्द गवाही..
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

5 comments:

  1. bahut umda...
    असंतोष-कुंठा
    कब उपजे?
    बूझे कारण कौन?
    'सलिल' सियासत
    स्वार्थ साधती
    जनगण रहता मौन.

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  2. मैं हूँ अदना
    शब्द-सिपाही.
    अर्थ सहित दें
    शब्द गवाही..
    waah! kya baat hai!

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  3. बढ़िया क्षणिकायें.

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  4. मैं हूँ अदना
    शब्द-सिपाही.
    अर्थ सहित दें
    शब्द गवाही..

    power of words !

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